शराब... कितनी खराब.........

Saturday, June 18, 2011




दो दोस्त बहुत दिनों बाद मिले, कुशलता पूछ्ने पर पहले दोस्त ने कहा क्या बताऊँ यार,आजकल मेरी तबियत बहुत खराब चल रही है, खाँसी का रोग ऐसा लगा है कि जाने का नाम ही नहीं लेता।दूसरे दोस्त ने सहानुभूति प्रकत करते हुए कहा-ऐसा है तो एक काम कर, तू रोज सुबह शाम 2-2 ढक्कन शराब पी लिया कर, तेरी खाँसी ठीक हो जायेगी। पहले दोस्त ने आश्चर्य चकित होकर कहा- क्या शराब पीने से सचमुच मेरी खाँसी चली जायेगी? दूसरे दोस्त ने तुरंत हताश होकर कहा- हाँ यार, जिस शराब के पीने से मेरी जमीन जायदाद चली गयी, क्या तेरी खाँसी नहींजायेगी।

यदि हम वैचारिक और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से सोचें तो कई रोंगटे खड़े करने वाले तथ्य सामने आ जाते हैं। आयुर्वेद में कहा भी है

बुद्धि लुम्पति यद्द्रव्यं मदकारी तदुच्य्ते

अर्थात् जो वस्तु बुद्धि का नाश कर दे वही मदकारी कहलाती है।

W.H.O. की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि शराब की बोतल में एक माँस का टुकढ़ा डाल देंतो वह गल कर कुछ ही देर में रेशे-रेशे हो जाता है। इसी प्रकार रक्त में जब एल्कोहल का जमाव 0.2 से 0.5% हो जाता है तो शराबी व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। हमारे शरीर का स्नायु तंत्र सक्रिय रहे इसलिये विटामिन बी कोम्प्लेक्स अति आवश्यक तत्व है। शराब के प्रयोग से इसके उत्पादन क्षमता में कमी आ जाती है परिणाम स्वरूप स्नायुतंत्र अपनी क्षमता खो देता है। पक्षाघात जैसी बीमारियाँ इसी स्नायुतंत्र की दुर्बलता के कारण होती हैं।

शराब के कारण सबसे अधिक प्रभावित हमारा पाचन तंत्र होता है। एल्कोहल पेट में पहुँचते ही पाचक रसों का स्राव होना कम हो जाता है, जिससे पाचन क्रिया कम तथा वायु विकार बढ जाता है तथा रक्त बनने की क्षमता भी कम हो जाती है। जिगर हमारे शरीर में एक प्रमुख अंग है। शराब के निरंतर सेवन से, ये भी काम करना बंद कर देता है परिणाम स्वरूप पीलिया हो जाता है,उल्टियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं और उस समय शरीर में पानी की कमी होने से व्यक्ति मृत्यु से समझौता करने लगता है। शराबी व्यक्ति मानसिक द्रष्टि से एक ओर सनकी, विक्षिप्त रहने लगता है वहीं शारीरिक द्रष्टि से उसका निरंतर वजन घटने लगता है, भूख मरने लगती है।


मैसाचुसेट्स जनरल हास्पीटल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, शराब पीने वालों में ट्राईग्लिसराइड्स बढ़ा हुआ हो तो उसे हृदय का दौरा कभी भी, किसी भी समय पड़ सकता है। रक्त में प्लेट्लेट्स की संख्या भी कम हो जाती है जिससे खून का थक्का बनने की सम्भावना अधिक हो जाती है।

महर्षि चरक के अनुसार शराब की प्रकृति-लघु, उष्ण, तीक्ष्ण, सूक्ष्म अम्ल कारक, व्यवायि,रुक्ष, विकाशी एवम विशद होती है। उष्णता के कारण मद्य पित्त वर्धक होता है, तीक्ष्णता से मन की स्फूर्ति नष्ट करने वाला, विशद होने के कारण वात प्रकोपक, तथा कफ शुक्र को नष्ट करने वाला होता है। रुक्षता के कारण वायु बढ़ाता है, व्यवायिक होने कारण मानसिक उत्फुल्लता एवम कामोत्तेजना बढ़ती है, विकाशी होने से सारे शरीर में फैल कर ओज नष्ट करता है। अम्ल गुण के कारण अजीर्ण उत्पन्न करने वाला होता है, इसका प्रभाव, मन, बुद्धि और इन्द्रियों पर पड़ता है और वो संतुलन खो बैठती हैं इसलिये मनुष्य हिंसक, क्रूर, अपराधी तथा उत्त्पाती बन जाता है।

कैलीफोर्नीया विश्वविद्यालय के मनो चिकित्सक गेलर्ड एलीसन ने शराब का प्राणियों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर बताया कि यह प्रवृत्ति आनुवांशिक नहीं है अपितु मनुष्य सामाजिक कुप्रचलनों से प्रभावित होकर इसका शिकार बन जाता है। उनके एक प्रयोग के आधार पर चूहों के सामने पानी और शराब दोनों अलग-अलग रखे गये। कुछ दिनों बाद देखा कि चूहों ने पानी कम और शराब को अधिक पसंद किया। शराबी चूहे अनेक प्रकार के दुराचरण करने लगे, चिड़चिड़े तो हुये ही साथ ही नींद न आने की बीमारी उन्हें लग गयी। परिणामत: शराब न पीने वाले चूहों की बिरादरी उन शराबियों को अपमानजनक एवं घृणास्पद द्रष्टि से देखने लगी और उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एल्कोहल के शिकार कई मृत व्यक्तियों के जब शव परीक्षण किये गये तो उनकी डिम्ब ग्रंथियों के सभी ऊतक पूरी तरह नष्ट हो गये हैं ऐसा पाया गया। प्रोस्टेट ग्लेंड की सूजन तथा नपुंसकता तो आम बात है। जिन गर्भवती महिलाओं ने एल्कोहल का सेवन किया उनके बच्चे विकलांग पैदा हुये। आजकल तो पाश्चात्य देशों की देखा देखी महिलाओं में भी मद्यपान की प्रवृत्ति बढती जा रही है। विश्व में सर्वाधिक नशे की शिकार फ्रांस की महिलायें हैं। इस संदर्भ में सोवियत वैज्ञानिकों का अध्ययन बताता है कि जो पति पत्नी शराब के नशे में धुत्त होकर संतानोत्पत्ति क्रम करते हैं वे कभी स्वस्थ शिशु को जन्म नहीं दे सकते, इनसे जन्मे शिशुओं का आई.क्यू.80 से भी कम होता है जब कि सामान्य का 100 से अधिक होता है।

ये सारी बातें स्पष्ट करती हैं कि शराब कोई अच्छा पेय नहीं है वरन स्वास्थ्य की दुश्मन है जो भी उससे बच जाये वह बुद्धिमान, जो ना बच पाये वह हत भागी ही कहा जायेगा।

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