कहने का तात्पर्य इतना सा है जो अन्न हम भून कर या अन्य विधियों से संस्कारित कर खाते हैं यदि उसे प्राक़ृत अवस्था में या थोडा अंकुरित करके ग्रहण करें तो शरीर के पोषण के लिये चौगुना फायदेमन्द होता है। भुने हुये बीजों को खेत में डाल कर देखिये, ना तो वे उगेंगे और न ही पोधे बनेंगे वरन जमीन में पडे-पडे सड जायेंगे। लगभग यही स्थिति आग पर पकाये जाने वाले खाद्यान्न की होती है।
आहार वेज्ञानिक मानते हें कि सूखे अन्न, दलहनों तथा तिलहनों में केवल पृथ्वी तत्व विशेष रूप से पाया जाता है। जब कि अंकुरित हो जाने पर प्रकृति उन पर विशेष कृपा कर जल, वायु, तथा सूर्य तत्व का उपहार अतिरिक्त दे देती है। इसके अलावा प्रकृति इनमें प्रोटीन, विटामिन, वसा एवम खनिज लवण जैसे जीवनीय तत्व भी इनमें लबालब भर देती है। अंकुरित अन्न मात्र अनाज नहीं होता अपितु अन्न फल तथा शाक सब्जी तीनों की भूमिका एक साथ निभाता है। आरोग्य के दृष्टि से अंकुरित आहार उत्तम होने के साथ ही समय , मेहनत, ईंधन और धन की बचत भी करता है। जहाँ तक हो सके खाद्यान्नों उनके प्राकृतिक रूप मे ही गृहण करना चाहिये। इसके लिये उन्हें पानी में भिगोने मात्र से ही नरम बना कर काम चल सकता है।
अंकुरित कैसे करें ?--
आहार विशेषज्ञों ने दस व्यक्तियों के लिये संतुलित अंकुरित अन्नों की एक आहार तालिका प्रस्तुत की......
गैंहूँ----200 ग्राम
चना---100 ग्राम
मूँग----100 ग्राम
ज्वार या बाजरा—100 ग्राम
ये सब साफ करके साफ पानी में 12 घंटे तक भिगो कर रखने के बाद 12 घंटे तक किसी मोटे कपडे में लपेट कर किसी खिडकी के पास लटका देना चाहिये जहाँ हल्का हल्का सूर्य का प्रकाश और हवा भी मिलती रहे। ये बात हर समय ध्यान रखनी चाहिये कि जिस कपडे में ये अन्न बंधा हो वो सूखने न पाये। इसलिये बाहर से पानी से तर करते रहना चाहिये। एसा करने से 36 घंटे मे बढिया अंकुर निकल आते हैं। ऋतु प्रभाव के अनुसार अंकुरण होने में कम या अधिक समय लग सकता है। सोयाबीन के दाने बहुत समय मे अंकुरित होते हैं इसलिये उन्हे अलग से अंकुरित कराना चाहिये। आमतौर पर इसे मूँगफली के विकल्प के रूप में लिया जाता है।
कैसे खायें ?-----
अंकुरित अन्न यूँ ही खाने से रूखा-रूखा अरुचिकर सा लग सकता है। उन्हे रुचिकर या स्वादिष्ट बनाने के लिये टमाटर, अदरक, खीरा, मूली, गाजर, हरा धनियाँ तथा हरा या सूखा पोदीना बारीक या रुचि के अनुसार काट लें फिर अंकुरित अन्न को प्लेट में डाल कर इनको अच्छी तरह मिला कर ऊपर से काला नमक, भुना जीरा बुरक लें। अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिये ऊपर से नीबू निचोड लें फिर खायें। इनमें सोंठ, पिंडखजूर, नारियल, नीबू, अंगूर, इलायची, इत्यादि डालने पर एक पुष्टिकारक व्यंजन तय्यार हो जाता है। यह बहुत किफायती है। साधारण रूप से 5 रुपये में एक व्यक्ति का पूरे दिन का आहार जुट जाता है।
पोषणविदों के अनुसार इस तरह के खाद्यान्न मनुष्य के लिये सम्पूर्ण आहार है। इनमें विटामिन सी 10 गुनी, तथा थायमिन राइबोफ्लोबिन और निकोटिनिक एसिड दूनी मात्रा में हो जाती है। अंकुरित दालों मे कुछ हानि करक तत्व स्वत: ही विघटित हो जाते हैं। सेम तथा ब्रूसेल जैसी सब्जियों के अंकुरित दानों में केल्शियम, फास्फोरस, आइरन, विटामिन ए, प्रचुर मात्रा में मिलने से ये बहुत उपयोगी हो जाते हैं। इन बीजों के अंकुरों में इंसुलिन जैसा रसायन अपनी प्राकृतिक अवस्था में मिलने के कारण मधुमेह के रोगियों के उपचार में बडा सहायक सिद्ध हुआ है।
इन सबके अतिरिक्त अंकुरित आहार की थोडी सी मात्रा से पेट भर जाता है। जिससे बार बार खाने की आदत से बचाव रहता है। इस प्रकार एसा आहार स्वास्थ्य और शारीरिक अभिवर्द्धन के साथ साथ शरीर को हल्का, फुर्तीला तथा ओज से परिपूर्ण बनाता है।
6 comments:
ek geet kar ,aur vijyan do alag dharayen hai .unka sangam dekh kar aanand aaya.
saader
rachana
dhanyawaad rachana ji
hamara margdarshan aur gyanvardhan karne ke liye aabhar, aap ke pryaso se bharat nirog hoga aur swast rahega.
thank u prashant ....
thnx sir for this usefull knowledge
sahi kaha aapney bandhu,vastav mey aisa aahar pushtikarak hota hai/aapke aalekh gyanvardhak aur upyogi hai/sader,
dr.bhoopendar
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