ताम्बे के बर्तन में पानी पीने के 5 फायदे*

Wednesday, June 22, 2022

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1. ताम्बे का पानी पीने से दिमाग उत्तेजित होता है अर्थात यह दिमाग को सक्रिय करता है, जिससे स्मरणशक्ति भी बढ़ती है।

2. यह पानी पीने से सूजन और शरीर में दर्द जैसी समस्याओं में रहत मिलती है। ताम्बे में एंटी इन्फ्लमेट्री गुण होते हैं और पानी को उसमें रखने से पानी में भी वही गुण आ जाते हैं।

3. ताम्बे का पानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है , जिससे हृदय सम्बंधित समस्याओं की सम्भावना कम हो जाती है।

4. यह पानी त्वचा के उपचार के लिए कारगर है, यह अंदर से बॉडी को शुद्ध करता है जिससे कील-मुहासे तो कम होते ही हैं साथ में त्वचा तमकदार भी बनती है।

5. ताम्बे का पानी पेट की समस्याओं में लाभकारी है। गैस, अपच, कब्ज इत्यादि की समस्या इससे दूर होती है।
C/p

जीवनीय शक्ति के आधार पर दिनचर्या

Thursday, June 16, 2022

*जैविक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या* 


*प्रातः 3 से 5 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से फेफड़ो में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना । इस समय दीर्घ श्वसन करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु (आक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते है, और सोते रहनेवालो का जीवन निस्तेज हो जाता है ।*

*प्रातः 5 से 7 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आंत में होती है। प्रातः जागरण से लेकर सुबह 7 बजे के बीच मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल – त्याग करते है उनकी आँतें मल में से त्याज्य द्रवांश का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।*

*प्रातः 7 से 9 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए उपर्युक्त है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच –बीच में गुनगुना पानी (अनुकूलता अनुसार ) घूँट-घूँट पिये।*

*प्रातः 11 से 1 – इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से हृदय में होती है। दोपहर 12 बजे के आस–पास मध्याह्न – संध्या (आराम ) करने की हमारी संस्कृति में विधान है। इसीलिए भोजन वर्जित है । इस समय तरल पदार्थ ले सकते है। जैसे मट्ठा पी सकते है। दही खा सकते है ।*

*दोपहर 1 से 3 - इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से छोटी आंत में होती है। इसका कार्य आहार से मिले पोषक तत्त्वों का अवशोषण व व्यर्थ पदार्थों को बड़ी आँत की ओर धकेलना है। भोजन के बाद प्यास अनुरूप पानी पीना चाहिए । इस समय भोजन करने अथवा सोने से पोषक आहार-रस के शोषण में अवरोध उत्पन्न होता है व शरीर रोगी तथा दुर्बल हो जाता है*

*दोपहर 3 से 5  इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मूत्राशय में होती है । 2-4 घंटे पहले पिये पानी से इस समय मूत्र-त्याग की प्रवृति होती है।*

*शाम 5 से 7  इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से गुर्दे में होती है । इस समय हल्का भोजन कर लेना चाहिए । शाम को सूर्यास्त से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना उत्तम रहेगा। सूर्यास्त के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक (संध्याकाल) भोजन न करे। शाम को भोजन के तीन घंटे बाद दूध पी सकते है । देर रात को किया गया भोजन सुस्ती लाता है यह अनुभवगम्य है।*

*रात्री 7 से 9  इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से मस्तिष्क में होती है । इस समय मस्तिष्क विशेष रूप से सक्रिय रहता है । अतः प्रातःकाल के अलावा इस काल में पढ़ा हुआ पाठ जल्दी याद रह जाता है । आधुनिक अन्वेषण से भी इसकी पुष्टी हुई है।*

*रात्री 9 से 11  इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी में स्थित मेरुरज्जु में होती है। इस समय पीठ के बल या बायीं करवट लेकर विश्राम करने से मेरूरज्जु को प्राप्त शक्ति को ग्रहण करने में मदद मिलती है। इस समय की नींद सर्वाधिक विश्रांति प्रदान करती है । इस समय का जागरण शरीर व बुद्धि को थका देता है । यदि इस समय भोजन किया जाय तो वह सुबह तक जठर में पड़ा रहता है, पचता नहीं और उसके सड़ने से हानिकारक द्रव्य पैदा होते हैं जो अम्ल (एसिड) के साथ आँतों में जाने से रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए इस समय भोजन करना खतरनाक है।*

*रात्री 11 से 1  इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से पित्ताशय में होती है । इस समय का जागरण पित्त-विकार, अनिद्रा , नेत्ररोग उत्पन्न करता है व बुढ़ापा जल्दी लाता है । इस समय नई कोशिकाएं बनती है ।*

*रात्री 1 से 3  इस समय जीवनीशक्ति विशेष रूप से लीवर में होती है । अन्न का सूक्ष्म पाचन करना यह यकृत का कार्य है। इस समय का जागरण यकृत (लीवर) व पाचन-तंत्र को बिगाड़ देता है । इस समय यदि जागते रहे तो शरीर नींद के वशीभूत होने लगता है, दृष्टि मंद होती है और शरीर की प्रतिक्रियाएं मंद होती हैं। अतः इस समय सड़क दुर्घटनाएँ अधिक होती हैं।*

 *ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है। अतः प्रातः एवं शाम के भोजन की मात्रा ऐसी रखे, जिससे ऊपर बताए भोजन के समय में खुलकर भूख लगे। जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें। इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। कुर्सी पर बैठकर भोजन करने में पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहींवत् हो जाती है। इसलिए ʹबुफे डिनरʹ से बचना चाहिए।*

*पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोयें, अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती हैं।*

*शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें। इस संदर्भ में हुए शोध चौंकाने वाले हैं। देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से जैविक घड़ी निष्क्रिय होकर भयंकर स्वास्थ्य-संबंधी हानियाँ होती हैं। अँधेरे में सोने से यह जैविक घड़ी ठीक ढंग से चलती है।*

*आजकल पाये जाने वाले अधिकांश रोगों का कारण अस्त-व्यस्त दिनचर्या व विपरीत आहार ही है। हम अपनी दिनचर्या शरीर की जैविक घड़ी के अनुरूप बनाये रखें तो शरीर के विभिन्न अंगों की सक्रियता का हमें अनायास ही लाभ मिलेगा। इस प्रकार थोड़ी-सी सजगता हमें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति करा देगी।*
C/p

महत्वपूर्ण बातें

Friday, May 27, 2022

❤️ Normal Value ❤
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:-
 1. बीपी: 120/80

 2. पल्स: 70 - 100

 3. तापमान: 36.8 - 37

 4. सांस : 12-16

 5. हीमोग्लोबिन: 
     नर -13.50-18
     मादा - 11.50 - 16 

 6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200

 7. पोटेशियम: 3.50 - 5

 8. सोडियम: 135 - 145

 9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220

 10. शरीर में खून की मात्रा :
       पीसीवी 30-40%

 11. शुगर लेवल: 
      बच्चों के लिए (70-130)
      वयस्क: 70 - 115

 12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम

 13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC: 
      4000 - 11000

 14. प्लेटलेट्स: 
      1,50,000 - 4,00,000

 15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC:
      4.50 - 6 मिलियन..

 16. कैल्शियम: 
       8.6 - 10.3 मिलीग्राम/डीएल

 17. विटामिन डी3:
      20 - 50 एनजी/एमएल 

18. विटामिन बी12: 
    200 - 900 पीजी/एमएल

   *वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष  वालों के लिए विशेष टिप्स:*
   

1-  *पहला सुझाव:*
 प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं... सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं।

2-  *दूसरा सुझाव :*
शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलाना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर... या तैराकी...या किसी भी प्रकार के खेल से। 

  3- *तीसरा सुझाव:*
 खाना कम करो....
अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें।  प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।

 5-  *चौथा सुझाव*
 जितना हो सके वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो... आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने... या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें।  लिफ्ट, स्लाईडर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।

 5- *पांचवां सुझाव*
 क्रोध छोड़ो...
 चिंता छोड़ो... चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो...
विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें .... वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं।  सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें !

6- *छठा सुझाव*
 उम्र के ढलते पडाव में पैसे रकम आदि का मोह छोड़ दे 
अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!
पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं। 

7- *सातवां सुझाव*
 अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते इन सभी के बारे में अफसोस करने के बजाय हमेशा अनदेखा कर भुल जाए! 
अपनी जरूरत वाली प्राथमिक सुविधाओं के अलावा अन्य किसी भी तरह की सुविधाओं की अपेक्षा नहीं रखें  ! इच्छाओं को सिमित रखें  ! 
 इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।

8- *आठवां सुझाव*
पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव ....
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं.... लेकिन आज है और कल नहीं है अत: उसके पिछे जरूरत से ज्यादा समय व्यर्थ नहीं करें  ! 
विनम्रता को प्राथमिकता दे जो लोगों को प्यार से आपके करीब लाती है। 

9- *नौवां सुझाव*
 अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है।  यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!

10- *दसवां सुझाव*
अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें!  चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें !  
अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!
🙏

कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें

Tuesday, May 24, 2022


अलसी के बीज से बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार होते है. अध्ययन के अनुसार रोजाना अलसी के बीज खाने से आपका कोलेस्ट्रॉल का लेवल 6 से 11 प्रतिशत तक कम हो सकता है. ऐसा संभव भी है, क्योंकि इसमें हाइ फाइबर और लिगनेन कंटेंट होता है.
अर्जुन की छाल दिल के रोगियों के लिए एक असरकारक दवा है। जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा है और थोड़ा भी पैदल चलने पर सांस फूलने लगती है, उन्हें अर्जुन की छाल की चाय अवश्य पीनी चाहिए। अर्जुन की छाल धमनियों में जमने वाले कोलेस्ट्रॉल और ट्रायग्लूसराइड को कम करती है। इससे दिल को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां सुचारू काम करने लगती हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लूसराइड का ज्यादा बढ़ना दिल के लिए घातक हो जाता है। इससे कई बार हार्ट अटैक आने का भी खतरा रहता है। ऐसे मरीजों को रोज अर्जुन की छाल का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में अवश्य करना चाहिये 
एक कप पानी में दो चम्मच मधु, तथा तीन चम्मच दालचीनी का चूर्ण मिला लें। इसका रोज 3 बार सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल कम होता है। 
सूर्यमुखी (सूरजमुखी) के तेल और बीज में अनसैचुरेटेड पॉली फैटी एसिड पाया जाता है जो कि कलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी लाभकारी है
राजमा, चने, मूंग, सोयाबीन और उड़द इत्यादि को अंकुरित कर सलाद के तौर पर इस्तेमाल करें तो भी कलेस्ट्रॉल कम होगा
सुबह उठकर 2-3 अखरोट नियमित तौर पर खाने से कलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
C/p

लौकी के फायदे

Monday, May 23, 2022

लौकी में पानी की मात्रा ज्यादा होती है और इसके साथ ही इसमें विटामिन-सी, राइबोफ्लेविन, जिंक, थायमिन, आयरन, मैग्नीज, मैग्नेशियम और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। सब्जियों में शामिल लौकी का सेवन बेहद लाभकारी माना जाता है। लौकी की सब्जी का सेवन किया जा सकता है और इसके जूस का सेवन भी लाभकारी माना जाता है। 


इसके नियमित और संतुलित मात्रा में सेवन से निम्नलिखित शारीरिक परेशानियों से बचा जा सकता है। जैसे –

1.दिल की बीमारी- कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने से दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं हरी सब्जियों में शामिल लौकी में जीरो कोलेस्ट्रॉल होता है और साथ ही साथ यह एंटीऑक्सिडेंट भी है। जिससे यह शरीर में बैड कोलेस्टॉल को बढ़ने से रोकती है। इसलिए दिल की बीमारी से बचने के लिए इसका सेवन करना लाभदायक माना जाता है। हरी सब्जियों के फायदे हों इसलिए नियमित रूप से लौकी का सेवन करना चाहिए।

2.ब्लड फ्यूरिफाइयर– लौकी ब्लड फ्यूरिफाइयर का भी काम करती है। लौकी को उबालकर सेवन करने से खून साफ होता है और मुहांसों और फुंसियों की शिकायत भी कम हो जाती है। त्वचा संबंधी परेशानी से बचा जा सकता है।

3.यूरिन इंफेक्शन– शरीर में सोडियम के लेवल बढ़ने से यूरिन इंफेक्शन की समस्या बढ़ जाती है, जिससे यूरिन के दौरान जलन जैसी समस्या शुरू हो जाती है। यूरिन इंफेक्शन को दूर करने में इसका रस काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

4.ग्लूकोज लेवल रहता है ठीक- लौकी में प्राकृतिक रूप से शुगर होता है, जो कि शरीर को जरूरी ग्लूकोज का स्तर प्रदान करता है। इस वजह से यह पोस्ट वर्कआउट ड्रिंक के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सही विकल्प माना जाता है। इसमें प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो कि मसल्स की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं और इससे मसल्स स्ट्रॉन्ग होती हैं।

5.डिप्रेशन- लौकी में कोलीन (choline) की मौजूदगी होती है। दरअसल कोलीन एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर होता है, जो कि दिमाग की कार्य क्षमता को सुधारता है और स्ट्रेस, डिप्रेशन और अन्य मानसिक परेशानियों से राहत दिलाने का भी काम करता है।

इन शारीरिक परेशानियों को दूर करने के साथ-साथ लौकी खाने से कई अन्य शारीरिक परेशानियों से बचा जा सकता है।

लौकी के फायदे तो हैं लेकिन, इसके सेवन से नुकसान भी हो सकता है। आहार विशेषज्ञों की माने तो शुरुआत में लौकी के जूस के सेवन से कब्ज और पेट खराब होने की समस्या हो सकती है, खाली पेट में इसके जूस के सेवन से गैस और जी मिचलाने जैसी समस्या हो सकती है। वहीं गर्भवती महिलाएं इसके जूस का सेवन कभी न करें क्योकि इससे गर्भपात होने का खतरा बढ़ सकता है।

C/p

सामान्य उपाय स्वस्थ रहने के

Sunday, April 24, 2022

👉 *आंवला*
किसी भी रूप में थोड़ा सा
आंवला हर रोज़ खाते रहे,
जीवन भर उच्च रक्तचाप
और हार्ट फेल नहीं होगा।
👉 *मेथी*
मेथीदाना पीसकर रख ले।
एक चम्मच एक गिलास
पानी में उबाल कर नित्य पिए।
मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले।
इस से आंव नहीं बनेगी,
शुगर कंट्रोल रहेगी और
जोड़ो के दर्द नहीं होंगे
और पेट ठीक रहेगा।
👉 *नेत्र स्नान*
मुंह में पानी का कुल्ला भर कर
नेत्र धोये।
ऐसा दिन में तीन बार करे।
जब भी पानी के पास जाए
मुंह में पानी का कुल्ला भर ले
और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये।
मुंह का पानी एक मिनट बाद
निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए
बार बार कुल्ला नया भरते रहे।
भोजन करने के बाद गीले हाथ
तौलिये से नहीं पोंछे।
आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर
चेहरा व कानो तक मले।
इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं।
नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।
👉 *शौच*
ऐसी आदत डाले के नित्य
शौच जाते समय दाँतो को
आपस में भींच कर रखे।
इस से दांत मज़बूत रहेंगे,
तथा लकवा नहीं होगा।
👉 *छाछ*
तेज और ओज बढ़ने के लिए
छाछ का निरंतर सेवन
बहुत हितकर हैं।
सुबह और दोपहर के भोजन में
नित्य छाछ का सेवन करे।
भोजन में पानी के स्थान पर
छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।
👉 *सरसों तेल*
सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल
और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल
तीन बूँद दोनों कान में
कभी कभी डालते रहे।
इस से कान स्वस्थ रहेंगे।
👉 *निद्रा*
दिन में जब भी विश्राम करे तो
दाहिनी करवट ले कर सोएं। और
रात में बायीं करवट ले कर सोये।
दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर
अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और
बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर
अर्थात सूर्य स्वर चलेगा।
👉 *ताम्बे का पानी*
रात को ताम्बे के बर्तन में
रखा पानी सुबह उठते बिना
कुल्ला किये ही पिए,
निरंतर ऐसा करने से आप
कई रोगो से बचे रहेंगे।
ताम्बे के बर्तन में रखा जल
गंगा जल से भी अधिक
शक्तिशाली माना गया हैं।
👉 *सौंठ*
सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम
और कफ से बचने के लिए
पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ
और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में
इतना उबाले के आधा पानी रह जाए।
रात को सोने से पहले यह पिए।
बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के
आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं।
सौंठ नहीं हो तो अदरक का
इस्तेमाल कीजिये।
👉 *टाइफाइड*
चुटकी भर दालचीनी की फंकी
चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ
दिन में दो बार लेने से
टाइफाईड नहीं होता।
👉 *ध्यान*
हर रोज़ कम से कम 15 से 20
मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे।
👉 *नाक*
रात को सोते समय नित्य
सरसों का तेल नाक में लगाये।
हर तीसरे दिन दो कली लहसुन
रात को भोजन के साथ ले।
प्रात: दस तुलसी के पत्ते और
पांच काली मिर्च नित्य चबाये।
सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा।
नाक स्वस्थ रहेगी।
👉 *मालिश*
स्नान करने से आधा घंटा पहले
सर के ऊपरी हिस्से में
सरसों के तेल से मालिश करे।
इस से सर हल्का रहेगा,
मस्तिष्क ताज़ा रहेगा।
रात को सोने से पहले
पैर के तलवो, नाभि,
कान के पीछे और
गर्दन पर सरसों के तेल की
मालिश कर के सोएं।
निद्रा अच्छी आएगी,
मानसिक तनाव दूर होगा।
त्वचा मुलायम रहेगी।
सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में
मालिश ज़रूर करे।
👉 *योग और प्राणायाम*
नित्य कम से कम आधा घंटा
योग और प्राणायाम का
अभ्यास ज़रूर करे।
👉 *हरड़*
हर रोज़ एक छोटी हरड़
भोजन के बाद दाँतो तले रखे
और इसका रस धीरे धीरे
पेट में जाने दे।
जब काफी देर बाद ये हरड़
बिलकुल नरम पड़ जाए
तो चबा चबा कर निगल ले।
इस से आपके बाल कभी
सफ़ेद नहीं होंगे,
दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे
और पेट के रोग नहीं होंगे।
👉 *सुबह की सैर*
सुबह सूर्य निकलने से पहले
पार्क या हरियाली वाली जगह पर
सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए
बहुत लाभदायक हैं।
इस समय हवा में प्राणवायु का
बहुत संचार रहता हैं।
जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर
रोग मुक्त रहता हैं और हमारी
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।
👉 घी खाये मांस बढ़े,
अलसी खाये खोपड़ी,
दूध पिये शक्ति बढ़े,
भुला दे सबकी हेकड़ी।
👉तेल तड़का छोड़ कर
नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो
जो जन अलसी खाय ।।

रसोई बनाम दवाखाना

Friday, April 22, 2022

Ayurvedic Tips : भारतीय रसोई में कई तरह के मसाले और सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. ये हमें फिट और हेल्दी रखने में मदद करते हैं. आइए जानें कौन सी सामग्री आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं.

आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार आपकी रसोई आवश्यक पोषक तत्वों का भंडार है. रसोई में ऐसे कई तरह के मसाले होते हैं जिनका इस्तेमाल व्यंजनों में किया जाता है. ये मसाले बाजार में आसानी से मिल जाते हैं. ये मसाले (spices) न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. ये मसाले वजन कम करने और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में भी आपकी मदद करते हैं. इन मसालों में दालचीनी, जीरा, धनिया और हींग जैसे मसाले शामिल हैं. ये मासले आपके पाचन तंत्र (Digestive System) को भी स्वस्थ रखते हैं. आइए जानें और कौन से मसाले आपकी सेहत के लिए लाभदायक हैं.

अदरक
ये सबसे प्रसिद्ध मसालों में से एक है जो लगभग हर भारतीय रसोई में होता है. ये आयुर्वेदिक उपचार का एक बड़ा हिस्सा है. ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करता है. ये पेट में पाचन एंजाइमों के स्राव को भी बढ़ाता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. अदरक को खाने में शामिल करने के अलावा अदरक से बनी चाय का सेवन भी कर सकते हैं. ये सर्दी या साइनस संक्रमण के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में काम करती है.


दालचीनी
दालचीनी में एंटीवायरल गुण होते हैं. ये सामान्य सर्दी पैदा करने वाले वायरस से लड़ने में मदद करती है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो गले की खराश से राहत दिलाते हैं.

जीरा
जीरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये गैस की समस्या से राहत दिलाता है.

धनिया
इस मसाले में ठंडक देने के गुण होते हैं. ये पेट में अत्यधिक गर्मी के कारण एसिड रिफ्लक्स से पीड़ित लोगों के लिए बहुत अच्छा है. ये सूजन, पेट फूलना आदि की समस्या से राहत दिलाता है. ये भूख को बढ़ाता है. ये पेट के कीड़ों को मारता है.

हींग
हींग की सुंगध बहुत तेज होती है. ये पाचन में सुधार करने के लिए बहुत उपयोगी मसाला है. इसके सुखदायक गुण पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं. हींग सूजन, पेट फूलना, पेट दर्द, ऐंठन और डकार को कम करने में मदद करती है.

हल्दी
हल्दी का इस्तेमाल अधिकतर व्यंजनों में किया जाता है. आयुर्वेदिक उपचारों में इसका बहुत महत्व है. ये पित्त दोष के लिए अच्छा होती है. ये इम्युनिटी बढ़ाने और लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करती है. ये जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है.

इलाइची
इलाइची का इस्तेमाल मीठे और नमकीन दोनों तरह के व्यंजनों में किया जाता है. इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर के रूप में भी किया जाता है. चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें कुछ पीसे हुए सुगंधित इलायची के बीज मिला सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है.


बढ़े हुए यूरिक एसिड के घरेलू उपाय

*यूरिक एसिड के घरेलू उपाय*
भाग (1)

* पहले यूरिक एसिड की समस्या 50-60 साल की उम्र के लोगों में देखी जाती थी, लेकिन आजकल गलत लाइफस्टाइल के कारण युवा भी इससे पीड़ित हो रहे हैं। तनाव, शराब का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, व्यायाम की कमी, पानी का खराब सेवन और खराब आहार सभी यूरिक एसिड और इसके लक्षणों में योगदान करते हैं।

 *यूरिक एसिड क्या है?*

* कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के मिश्रण से एक यौगिक बनता है, जिसे शरीर प्रोटीन से अमीनो एसिड के रूप में प्राप्त करता है जिसे यूरिक एसिड कहा जाता है।

 * इसलिए अगर यूरिक एसिड को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो यह गठिया और गठिया का कारण बन सकता है। प्राचीन वस्तुओं को देखने या अपॉइंटमेंट लेने के तरीके के बारे में यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं। *

*तरल भोजन खूब खाएं*

* यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए खूब पानी पीना जरूरी है। फलों के रस, नारियल पानी और ग्रीन टी जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें। *

*सभी रंगों की सब्जियां*

*हर रंग की सब्जियों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं। हरी, लाल, नारंगी सब्जियों से आपको सारे पोषक तत्व मिलेंगे, जो न सिर्फ एसिड को नियंत्रित करते हैं बल्कि अन्य समस्याओं से भी बचाते हैं।

*खट्टे फल (साइट्रिक एसिड फल)*

* खट्टे फल यूरिक एसिड क्रिस्टल को घोलकर यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं। अपने आहार में फलों को अवश्य शामिल करें, लेकिन केवल सीमित मात्रा में। *

सूक्ष्म *छोटी इलायची*

* छोटी इलायची को पानी में मिलाकर खाने से यूरिक एसिड का स्तर कम होगा और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम होगा।

* मीठा सोडा *

1 गिलास पानी में 1/2 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर पीने से यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

*ओवा*

* ओवा यूरिक एसिड से शरीर में होने वाली सूजन को कम करता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए दिन में 2-3 चम्मच ओवा का सेवन करें।

*रोज सेब खाएं*

*सेब में मौजूद एसिड यूरिक एसिड को बेअसर करता है।*

* नींबू का रस *

*नींबू यूरिक एसिड को नियंत्रित करता है। सुबह खाली पेट नींबू का रस पीने से आपको फायदा होगा। साथ ही दिन में चार से पांच बार नींबू पानी पिएं।

* चेरी *

* चेरी और डार्क चेरी में फ्लेवोनोइड्स नामक तत्व होते हैं, जो यूरिक एसिड को कम करने में मदद करते हैं। सूजन और जकड़न को दूर करता है। *

C/p

कैसे पाएं डेंड्रफ से मुक्ति

Thursday, April 21, 2022

कैसे पायें डैंड्रफ-फ्री बाल

कैसे पायें डैंड्रफ-फ्री बाल – बालों में रुसी (डैंड्रफ) का होना एक साधारण समस्या है पर इस साधारण समस्या को नजरअंदाज कभी-कभी खतरनाक भी हो सकता है, इसलिए डैंड्रफ की शुरुआत होते ही उस पर समय रहते काबू पा लेना चाहिए ताकि बड़ी मुसीबत से बचा जा सके |
शैम्पू का चुनाव सोच समझ कर करें

बालों के लिए एंटी-डैंड्रफ शैंपू का चुनाव करना चाहिए | एंटीडैंड्रफ शैंपू लेते समय उसमे इस्तेमाल पदार्थों को ध्यान में रखना चाहिए | इस में कोलतार, सेलिसिलिक एसिड, जिंक, सल्फर या सलेनियम सल्फाइड शामिल होता है क्योंकि हर केमिकल अपने तरीके से रुसी को कम करने का कार्य करता है |

डैंड्रफ होने पर बालों को प्रतिदिन शैंपू से धोएं ताकि बाहरी प्रदूषित वातावरण उस पर अपना प्रभाव न छोड़ पाए | प्रतिदिन शैंपू करने से केशों (बालों) का अतिरिक्त तेल भी निकल जाता है और मैल भी जमा नहीं हो पाता | इससे मृत त्वचा भी निकल जाती है |

यदि आप कई महीनो से लगातार एक ही शैंपू यूज़ कर रही है और रुसी पुनः हो जाती है तो उस शैंपू को बदल लें | हो सकता है आपके बालों में उस शैंपू में इस्तेमाल पदार्थ के प्रति प्रतिरोधक शक्ति पैदा हो गई हो |

ऐसे में 3 ब्रांडों के एंटीडैंड्रफ शैंपू प्रयोग करें | एक ब्रांड के शैंपू का 1 महीने तक प्रयोग करें | फिर दूसरे माह दूसरे ब्रांड का और तीसरे माह तीसरे ब्रांड का शैंपू प्रयोग करें | फिर पुनः अपने पुराने शैंपू को 1 माह तक प्रयोग में लाएं | ऐसा करने पर केशों में डैंड्रफ अपना कब्ज़ा नहीं जमा पाएगा |

ऐसे करें शैंपू का प्रयोग

बालों को सप्ताह में कम से कम 2 बार अवश्य धोएं | शैंपू करते समय पहले बालों को अच्छी तरह गीला कर लें और शैंपू को एक मग में थोड़ा सा पानी डालकर माइल्ड कर लें | फिर उसे बालों पर लगाकर थोड़ा सा मलें | मलते समय पोरों का प्रयोग करें ताकि सिर की त्वचा के साथ चिपकी रुसी और बालों में आया प्राकृतिक तेल अच्छी तरह साफ हो जाए |

दूसरी बार शैंपू करते समय बालों पर शैंपू लगाकर 3-4 मिनट तक छोड़ दें ताकि शैंपू में विद्यमान कैमिकल्स त्वचा के सेल्स में घुस कर अपना कार्य कर सकें | पुनः बालों को अच्छी तरह से रिंस कर लें |

बालों से पूरी तरह शैंपू निकालने के बाद सिर की त्वचा पर 1 चम्मच नीबू का रस लगाएं | अंत में बालों को अच्छी तरह रिंस कर लें | नीबू का रस बालों से डैंड्रफ तो दूर करेगा ही, साथ ही बालों में चमक भी बनी रहेगी |

C/p

अंगूर यानि द्राक्षा

Wednesday, April 20, 2022


द्राक्षा एक श्रेष्ठ प्राकृतिक मेंवा है, इसका स्वाद मीठा होता है। इसकी गणना उत्तम फलों की कोटि में की जाती है। इसकी बेल होती है। बेल का रंग लालिमा लिये हुए रहता है। द्राक्ष की बेल 2-3 वर्ष की होने पर फलने-फूलने लगती है।
 खासकर फरवरी-मार्च के महीनों में बाजार में हरी द्राक्ष अधिक मात्रा में दिखाई देती है। 
द्राक्ष 2 तरह की होती है- पहला काला और दूसरा सफेद। सफेद द्राक्ष अधिक मीठा होता है। 
काली द्राक्ष सभी रोगों में लाभकारी और गुणकारी होती है। काली द्राक्ष का दवा में अधिक प्रयोग होता है। बेदाना, मुनक्का और किशमिश- ये द्राक्ष की प्रमुख किस्में है।

किशमिश अधिकतर बेदाना जैसी ही, परन्तु कुछ छोटी होती है। द्राक्ष गर्म देशों के लोगों की भूख और प्यास को शान्त करने में उपयोगी है। यह पित्तशामक और रक्तवर्धक है। 
हरी द्राक्ष कफकारक मानी जाती है परन्तु सेंधानमक अथवा नमक के साथ सेवन से कफ होने का खतरा नहीं होता है।
 सूखी द्राक्ष की अपेक्षा हरी द्राक्ष कुछ खट्टी परन्तु अधिक स्वादिष्ट और गुणकारी होती है। द्राक्ष काजू के साथ नाश्ते के रूप में ली जाती है।
 पुराने कब्ज वाले लोग यदि रोज ज्यादा द्राक्ष खाएं तो इससे कब्ज दूर होती है। 
जिन लोगों को पित्त प्रकोप हुआ हो वे यदि द्राक्ष का सेवन करें तो उनका पित्तप्रकोप शान्त होता है, शरीर में होने वाली जलन दूर हो जाती है तथा उल्टी भी बंद हो जाती है। यदि शरीर कमजोर हो और वजन न बढ़ता हो, आंखों में धुंधलापन महसूस होता है, जलन रहती हो तो द्राक्ष का सेवन करने से यह सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। 
द्राक्ष में विटामिन `सी´ होता है जिसके कारण स्कर्वी और त्वचा रोग नष्ट हो जाते हैं। द्राक्ष खाने से शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है।
 खट्टी द्राक्ष रक्तपित्त करती है। हरी द्राक्ष, भारी, खट्टी, रक्तपित्तकारक, रुचिकारक, उत्तेजक और वातनाशक है। पकी द्राक्ष मल को साफ करने वाली, आंखों के लिए लाभदायक, शीतल रस में मीठा, आवाज को अच्छा बनाने वाली, मल-मूत्र को बाहर निकालने वाली, पेट में गैस करने वाली, वीर्यवर्धक और कफ तथा रुचि पैदा करने वाली है। 

विभिन्न रोगों में उपयोग : 

1.)_ सिर की गर्मी : 
20 ग्राम द्राक्ष को गाय के दूध में उबालकर रात को सोने के समय पीने से सिर की गर्मी निकल जाती है। 

2.)_ मूर्च्छा (बेहोशी) : 
द्राक्ष को उबाले हुए आंवले और शहद में मिलाकर रोगी को देने से मूर्च्छा (बेहोशी) के रोग में लाभ मिलता है। 

3.)_ सिर चकराना : 
लगभग 20 ग्राम द्राक्ष पर घी लगाकर रोजाना सुबह इसको सेवन करने से वात प्रकोप दूर हो जाता है। यदि कमजोरी के कारण सिर चकराता हो तो वह भी ठीक हो जाता है। 

4.)_ आंखों की गर्मी व जलन : 
लगभग 10 ग्राम द्राक्ष को रात में पानी में भिगोकर रखे। इसे सुबह के समय मसलकर व छानकर और चीनी मिलाकर पीने से आंखों की गर्मी और जलन में लाभ मिलता है। 

5.)_ अम्लपित : 
20 ग्राम सौंफ व 20 ग्राम द्राक्ष को छानकर और 10 ग्राम चीनी मिलाकर थोड़े दिनों तक सेवन करने से अम्लपित, खट्टी डकारें, खट्टी उल्टी, उबकाई, आमाशय में जलन होना, पेट का भारीपन के रोग में लाभ पहुंचता है। 

6.)_ खांसी :
 बीज निकाली हुई द्राक्ष, घी और शहद को एक साथ चाटने से क्षत कास (फेफड़ों में घाव उत्पन्न होने के कारण होने वाली खांसी) में लाभ होता है। 

7.)_ बलवर्द्धक : 
20 ग्राम बीज निकाली हुई द्राक्ष को खाकर ऊपर से आधा किलो दूध पीने से भूख बढ़ती है, मल साफ होता है तथा यह बुखार के बाद की कमजोरी को दूर करता है और शरीर में ताकत पैदा करता है। 

8.)_ कब्ज :
 10-10 ग्राम द्राक्ष, कालीमिर्च, पीपर और सैंधा नमक को लेकर पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 400 ग्राम काली द्राक्ष मिला लें और चटनी की तरह पीसकर कांच के बर्तन में भरकर सुरक्षित रख लें। इसकी चटनी `पंचामृतावलेह´ के नाम से प्रसिद्ध है। इसे आधा से 20 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से अरुचि, गैस, कब्जियत, दर्द, मुंह की लार, कफ आदि रोग दूर होते है। 
9.)_ तृषा व क्षय रोग :
 लगभग 1200 मिलीलीटर पानी में लगभर 1 किलो शक्कर डालकर आग पर रखें। उबलने के बाद इसमें 800 ग्राम हरी द्राक्ष डालकर डेढ़ तार की चासनी बनाकर शर्बत तैयार कर लें। यह शर्बत पीने से तृषा रोग, शरीर की गर्मी, क्षय (टी.बी) आदि रोगों में लाभ होता है। 

10.)_ खांसी में खून आना :
 10 ग्राम धमासा और 10 ग्राम द्राक्ष को लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से उर:शूल के कारण खांसी में खून आना बंद हो जाता है।

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100 ज़रूरी जानकारी

Thursday, April 14, 2022

कुछ 100 जानकारी 

1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
   
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।

3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।

4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।

5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।

6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं ।

7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।

8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।

9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।

10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।

11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।

12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।

13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।

14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।

15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।

16. *अस्थमा , मधुमेह , कैसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।

17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।

18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।

19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है । 

20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।

21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।

22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है । 

23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।

24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।

25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।

26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है । 

27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।

28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।

29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।

30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।

31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।

33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।

34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।

35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।

36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।

37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।

38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।

39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।

40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।

41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।

42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों , 

43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।

44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।

45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।* 

46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।

47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए । 

48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।

49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है । 

50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें । 

51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है । 

52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।

53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।

54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।

55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।

56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।

57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें । 

58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।

59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।

60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है । 

61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।

62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।* 

63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए ।

64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*

65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।

66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।

67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।

68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।

69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।

70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है । 

71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।

72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए । 

73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए । 
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।* 

75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।

76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।

77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।

78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए । 
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि । 

80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें । 

81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए । 

82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*

83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*

84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है । 

85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है । 

86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग । 

87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए । 

88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है । 

89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं । 

90. *चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।* 

91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*

92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।

93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा ।

94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।

95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है । 

96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है । 

97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*। 

98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है । 

99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।

100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूकें